Shodashi - An Overview
Wiki Article
सोलह पंखड़ियों के कमल दल पर पद्दासन मुद्रा में बैठी विराजमान षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी मातृ स्वरूपा है तथा सभी पापों और दोषों से मुक्त करती हुई अपने भक्तों तथा साधकों को सोलह कलाओं से पूर्ण करती है, उन्हें पूर्ण सेवा प्रदान करती है। उनके हाथ में माला, अंकुश, धनुष और बाण साधकों को जीवन में सफलता और श्रेष्ठता प्रदान करते हैं। दायें हाथ में अंकुश इस बात को दर्शाता है कि जो व्यक्ति अपने कर्मदोषों से परेशान है, उन सभी कर्मों पर वह पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर उन्नति के पथ पर गतिशील हो और उसे जीवन में श्रेष्ठता, भव्यता, आत्मविश्वास प्राप्त हो। इसके आतिरिक्त शिष्य के जीवन में आने वाली प्रत्येक बाधा, शत्रु, बीमारी, गरीबी, अशक्ता सभी को दूर करने का प्रतीक उनके हाथ में धनुष-बाण है। वास्तव में मां देवी त्रिपुर सुन्दरी साधना पूर्णता प्राप्त करने की साधना है।
सा नित्यं रोगशान्त्यै click here प्रभवतु ललिताधीश्वरी चित्प्रकाशा ॥८॥
The reverence for Goddess Tripura Sundari is apparent in the way in which her mythology intertwines Together with the spiritual and social material, supplying profound insights into the character of existence and the path to enlightenment.
Saadi mantras tend to be more obtainable, used for common worship and to invoke the presence on the deity in everyday life.
Shodashi’s energy fosters empathy and kindness, reminding devotees to tactic Other people with understanding and compassion. This profit encourages harmonious associations, supporting a loving method of interactions and fostering unity in loved ones, friendships, and community.
चक्रेऽन्तर्दश-कोणकेऽति-विमले नाम्ना च रक्षा-करे ।
हव्यैः कव्यैश्च सर्वैः श्रुतिचयविहितैः कर्मभिः कर्मशीला
बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।
हार्दं शोकातिरेकं शमयतु ललिताघीश्वरी पाशहस्ता ॥५॥
Given that the camphor is burnt into the fire quickly, the sins created by the person grow to be no cost from Individuals. There isn't any any as such need to have to uncover an auspicious time to get started on the accomplishment. But pursuing durations are said to generally be Particular for this.
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥११॥
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में
श्रीमत्सिंहासनेशी प्रदिशतु विपुलां कीर्तिमानन्दरूपा ॥१६॥